Lona Chamarin: लोना चमारिन कौन थी?, लोना चमारी के मंत्र

अधिकतर ग्रामीण क्षेत्रों में आपने देखा होगा जब लोग कहते हैं कि, इसको बच्चे को नजर लग गयी है, या कोई किसी के बारे में कहता है कि, इसको टोना लग गया है, या इसके ऊपर किसी ने जादू कर दिया है। तब उसके परिवार के लोग इस प्रकार की परेशानियों को झाड़ने के मन्त्रों को जानने वाले के पास झड़वाने के लिए लेकर जाते हैं। जिस पर मंत्रो को जानने वाला व्यक्ति उस व्यक्ति पर कुछ मंत्र पढ़ कर झाड़ता है। और वह व्यक्ति झाड़ने के लिए जिन मन्त्रों का उच्चारण करता है, उन मन्त्रों को अगर आप ध्यान से सुनें, तो कहीं न कहीं उस मंत्र में आपको लोना चमारिन का नाम अवश्य सुनाई पडेगा।

लोना चमारिन कौन है, इस बारे में कोई ठीक से नहीं बताता। टोना झाड़ने वाले लोग न तो मंत्र के बारे में सभी को बताते हैं, और न ही लोना चमारिन के बारे में कुछ कहते हैं। लेकिन ये तो तय है कि, जब भी किसी भी प्रकार के जादू, टोना, नजर इत्यादि में झाड़ने के लिए जिन मंत्रों का प्रयोग किया जाता है। उसमें लोना चमारिन का नाम अवश्य होता है।

एक बार ऐसे ही मुझे एक टोना झाड़ने का एक मंत्र मिला। उसमें मुझे ये पंक्तियाँ तैतीस करोड़ देवता की दुहाई, दुहाई लोना चमारिन की लिखी मिलीं। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि, लोना चमारिन काफी प्रभावशाली सिद्ध स्त्री रही होगी। नहीं तो तैंतीस करोड़ देवताओं की दुहाई में इनके भी नाम की दुहाई का शामिल होना काफी बड़ी बात है। और पंडित लोग भी टोना झाड़ने के मंत्रों में लोना चमारिन नाम की दुहाई देते हैं।

इसी तरह जब कुछ और मंत्र देखने देखने लगा, तो उसमें मुझे एक वशीकरण मंत्र भी दिखा, इसमें लिखा था कि, घर छोड़ें कामरु देव कामाख्या, जहां बसैं इस्माइल जोगी। इस्माइल जोगी की लगी फुलवारी, फूल चुनै लोना चमारिन। जो लेई यहु फूल की बास, वहिकी जान हमारे पास। घर छोड़ें, घर आँगन छोड़ें-आंगन छोड़ें, घर आँगन छोड़ैं छोड़ैं कुटुंब की मोह-लाज। दुहाई लोना चमारिन की।

इस मंत्र को पढ़ने के बाद मैं सोचने लगा कि, ये इस्माइल जोगी कौन हैं, और इनका लोना चमारिन से क्या रिश्ता है। तो बता दें कि, अंग्रेजों के समय बंगाल सिविल सर्विसेस के एक अधिकारी हुआ हुआ करते थे। जिनका नाम विलियम क्रुक था। सन 1896 में उनकी एक किताब द पॉपुलर रिलीजन ऐंड फोकलोर आफ नार्दन इंडिया प्रकाशित हुई। इसमें वह लोना चमारिन के बारे में बताते हैं। और द गोल्ड्लिंग्स आफ डिजिट चैप्टर में इस तरह के लोगों का जिक्र करते हैं, जो किसी पर भूत-प्रेत से छुटकारा दिलाते हैं। इन्हें आम भाषा में ओझा या तांत्रिक कहा जाता है।

वह अपनी किताब में मिर्जापुर के एक ऐसे ही व्यक्ति के बारे में लिखते हैं कि, वह मन्त्रों में भगवान् हनुमान का का आह्वान कर रहा होता है। वह बताते हैं कि, उन्होंने हनुमान जी के अतिरिक्त 2 और लोगो लोना चमारिन और इस्माइल जोगी के बारे में भी सुना है। लोगों को किसी जहरीले जीव, बुरे साये के प्रभाव से बचाने वाले लोग अपने मंत्रों में जोगी एवं लोना चमारिन के नाम की दुहाई देते हैं। वह बताते हैं कि, जब मिर्जापुर में ओले गिरना शुरू होते थे, तो वहां के लोग इस्माइल जोगी और लोना चमारिन से ही फ़रियाद करते थे कि, वे उनकी रक्षा करें।

विलियम क्रुक ने अपनी किताब में आगे लिखा है कि, इस्माइल जोगी लोना चमारिन के गुरु थे। जिनसे लोना ने मंत्रों को सीखा था। इसका कारण शायद यह रहा हो कि, तंत्र-विधा जैसी साधनाएं कोई उच्च जाति का व्यक्ति दलित जाति के किसी व्यक्ति को क्यों सिखाएगा। मध्य काल में इसी भेदभाव के कारण समाज में बराबर का अधिकार न मिल पाने वाली जातियां मुस्लिमों के संपर्क में आईं, तो उन्हें इस विधा के बारे में मुस्लिमों ने सिखाया।

लोना चमारिन के बारे में कोई लिखित जानकारी तो नहीं मिलती, परन्तु जनश्रुतियों, लोक साहित्य और मंत्रों से वह कामरूप जिसे कामाख्या कहते हैं, वहां से ताल्लुक रखती है। कामाख्या वैसे भी तंत्र साधना के लिए आदिकाल से प्रसिद्द है। तो अब सवाल उठता है कि, इस्माइल जोगी असम के कामाख्या प्रदेश में कैसे। तो बता दें कि, तंत्र साधना में मुस्लिमों ने भी काफी दिलचस्पी ली। मुस्लिम भी तंत्र साधना के बड़े साधक बने, गुरु बने। सूफियों के अलावां मुस्लिमों की काफी तादात इस देश की तंत्र साधना की तरफ आकर्षित हुई थी। और उसने इस कला में काफी असरदार तरीके से भाग लिया था।

कुछ तंत्र साधनाओं के बारे में बताया जाता है कि, लोना चमारिन को 7 प्रकार की मिठाइयां बहुत पसंद थीं। इसी कारणवश तंत्र साधना पूर्ण होने के पश्चात व्यक्ति को ये सलाह दी जाती है कि, वह किसी सुनसान जगह पर 7 प्रकार की मिठाइयां रख दे।

अनेकों बार लोना चमारिन का नाम साबर मंत्रों में आता है। साबर मंत्र उस मंत्र को कहते हैं, जिनमें अरबी फ़ारसी एवं आम बोलचाल के शब्दों का प्रयोग होता है। अर्थात इस तरह के मंत्र जो सामान्य बोलचाल की भाषा के लिए बनाये गए हों। संस्कृत या अन्य भाषाओं की शुद्धता में तैयार मंत्र सामान्य लोगों के लिए सरल नहीं होते हैं। साबर मंत्रो की उन्हीं विशेषताओं ने इन्हें आम लोगों की पहुँच में ला दिया। हर जगह छोटी -छोटी बातों पर लोग इन मंत्रो का प्रयोग करने लगे। इसका जो प्रभाव है, वो या तो विश्वास का मामला है, या फिर असर का। वैसे इनको प्रयोग करने और इनमें विश्वास करने वालों की संख्या कम नहीं है।

योगी के समान तंत्र साधना के क्षेत्र में योगिनी की भी मौजूदगी है। परन्तु लोना चमारिन योगिनी नहीं मानी जाती। लोना चमारिन के बारे में भारतीय लोक विश्वास पुस्तक के लेखक डा. कृष्ण देव उपाध्याय कहते हैं कि, “डायनों की सरताज, अपनी कला में अलौकिक प्रवीणता तथा सिद्धि को प्राप्त लोना चमारिन नाम नामक “विख्यात डायन।” इस विचार से चलें तो, लोना चमारिन पंडिताइन वाले देवी-देवताओं के सम्मान की अधिकारी नही साबित नहीं होती है। ऐसा विरोधाभास क्यों ?

जबकि प्रभाव की लोक स्वीकृति में वो योगिनियों से पीछे नहीं ठहरतीं। फिर ऐसा क्यों कि, वह योगिनी नहीं, बल्कि एक डायन के रूप में जानी जाती हैं। इसकी वजह उनका चमार जाति में जन्म लेना हो सकता है। जिसे आज भी समाज में अत्यंत गिरी निगाहों से देखा जाता है। ये समाज चमारिन की दुआएं अवश्य चाहे, परन्तु उसे योगिनी का दर्जा देने को तैयार नहीं हुआ। फिर भी ये लोना चमारिन की जीत एवं लोकप्रियता ही है कि, चमार जाति को गालियां देने वाले लोग भी उनसे सलामती की दुआएं मांगते हैं।

लोक साहित्यों में देखें तो उनमें लोना चमारिन का जिक्र पंजाब के अमृतसर में दलित जाति की महिला के तौर पर आता है। जो कि, एक बड़ी जादूगरनी के रूप में प्रसिद्ध है। एक अन्य लोना चमारिन का नाम राजस्थान के ददरेवा में रहने वाली महिला के रूप में आता है। वह जाहरवीर की माता वाशल की सेविका थी। कहा जाता है कि, जाहरवीर इन्हें अपनी माँ के समान सम्मान देते थे। इसी वजह से जब भी लोना चमारिन की दुहाई दी जाती है। तब जाहरवीर स्वयं आकर समस्या का निस्तारण करते हैं।

वैसे कामरूप यानि कामाख्या की लोन चमारिन की प्रसिद्धि इन सबसे काफी अधिक है। साबर मंत्रों में उनका ही जिक्र आता है। ऐसा नहीं है कि, लोना चमारिन सिर्फ जादू-टोना या नजर झाड़ने वाले या अन्य साबर साबर मंत्रों में ही दिखें। आपको हैरानी होगी कि, ये वही लोना चमारिन है, जिसका जिक्र श्रेष्ठ भारतीय क्लासिक महाकाव्य पद्मावत में 3 बार किया गया है। इसके रचनाकार मलिक मुहम्मद जायसी हैं।

महाकाव्य की कथा में चित्तौड़ के राजा रतनसेन को उनकी सभा के दूसरे ब्राह्मण समझाते हैं कि, हे राजन जिस राघव चेतन ब्राह्मण ने तंत्र विधा से अमावस पर द्वितीया का चाँद बनाकर दिखा दिया, वो एक दिन चाँद के लिए राहुकाल को ला सकता है। अर्थात बहुत बड़ी परेशानी खड़ी कर सकता है।

ऐहिकर गुरु चमारिन लोना। सिखा कामरु पाढित टोना।। दुजि अमावस महं जो देखावै। एक दिन राहु चाँद कहँ लावै।।

कामरु की लोना चमारिन ही राघव चेतन की गुरु हैं। जिसनें राघव चेतन को तंत्र एवं जादू-टोने की शिक्षा दी है।

एक अन्य स्थान पर जादू -टोना करने वाली एक ब्राह्मणी है, जो अपनी कामयाबी और क्षेष्ठता को बताने के लिये लोना चमारिन का उदाहरण देती है कि, जैसे कामरूप की लोना चमारिन के छल से, तंत्र-मंत्र से कौन नहीं छला गया। उसी प्रकार मुझे भी समझा जाय।

जस कामरु चमारी टोना। कोड न छरा पढ़ित औ टोना।।

यानि लोना चमारिन की ये ख्याति उस समय की थी कि, ब्राह्मण उसे अपना गुरु मानते थे। उससे तंत्र विधा सीखते थे। वे ब्राह्मण जो अनेकों विधाओं में अपने समक्ष किसी को भी कुछ नहीं समझते थे, वे भी लोना के समक्ष विवश थे। वे अपनी विधा प्रयोगों में अचूक थीं। ये उसकी सिद्धि और ख्याति ही थी कि, जब किसी को भी अपनी काबिलियत दिखानी होती थी, तब वो लोना से तुलना करके स्वयं को स्थापित करने की कोशिश करता।

मेरे विचार से लोना अपने समय में काफी रूपवान रही होंगी। लोना नाम उनकी सुंदरता की वजह से ही पड़ा होगा। लावण्य के बराबर अर्थ में, लोना यानि सुंदरता। इसी अर्थ में लोना शब्द जायसी के यहां भी आया है। अलाउद्दीन पद्मिनी का भेद कह रहे राघव चेतन से कहता है, तुम्हें मेरी एक दासी की सुंदरता के सामने रानी पद्मावती की सुंदरता (लोन) वैसे ही नष्ट दिखेगी, जैसे पानी में नमक घुल जाता है। लोना की प्रसिद्धि में उनकी सुंदरता भी एक वजह रही होगी।

जौ उन्ह महं देखे सि एक दासी। देखि लोन होइ लोन बरासी।।

वैसे इतनी सिद्धि प्राप्त करने वाली लोना चमारिन को किसी सिद्ध स्त्री का दर्जा समान्य रूप से नहीं दिया गया। हो सकता है कि, इसमें उनकी जाति बाधक रही हो। परन्तु उनके नाम की दुहाई उनकी यश और वैभव है। जिन्हें इन बातों पर भरोसा है, वे भरोसा करते हैं। जिन्हें नहीं है, वे इस तरह की किसी भी साधना या प्रसंग को गलत बताते हैं।

निष्कर्ष

हमने अपने इस लेख “कौन थी लोना चमारिन, क्यों दी जाती है, टोना-टटका, भुत-प्रेत, से रक्षा एवं वशीकरण में इनके नाम की दुहाई” में लोना चमारिन के बारे में सारी जानकारियों का विस्तृत रूप से वर्णन किया है। हम आशा करते हैं कि, आपने हमारा यह लेख शुरू से लेकर अंत तक पूरा पढ़ा होगा। और आपको काफी पसंद भी आया होगा।