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हिन्दू पंचांग के अंतर्गत हरतालिका का पर्व भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन मनाया जाता है। इस दिन माता पार्वती, महादेव शंकर एवं गणेश जी की पूजा-अर्चना की जाती है। यह व्रत भी करवा चौथ व्रत की तरह काफी कठिन होता है।
महिलाएं इस व्रत में सारा दिन निर्जल व्रत रहती है। हरितालिका तीज का व्रत रखने वाली सुहागिन महिलाएं एवं कुंवारी लड़कियां माता पार्वती एवं महादेव शंकर एवं भगवान गणेश जी की मिटटी से बनी अस्थायी मूर्तियों की पूजा करती हैं।
इस व्रत को रखने वाली सुहागिन महिलाएं अथवा लड़कियां करवा चौथ के व्रत की तरह शाम को चंद्रोदय होने के पश्चात चन्द्रमा को अर्ध्य देकर व्रत खोलती हैं। इस व्रत को सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए करती हैं। एवं कुंवारी लड़कियां इस व्रत को अच्छे वर की प्राप्ति के लिए करती हैं।
मान्यता है कि, हरितालिका तीज का व्रत रखने से दाम्पत्य जीवन सुखमय रहता है। एवं पति-पत्नी के बीच आपस में प्रेम बढ़ता है। इस व्रत को संतान प्राप्ति के लिए भी काफी उपयोगी माना गया है। आइये जाने हरितालिका तीज की तिथि, इसकी पूजा का शुभ मुहूर्त एवं इसकी पूजा करने के तरीका के बारे में।
कब है हरितालिका तीज-2023 का पर्व
वैदिक पंचांग के अनुसार, श्रावण शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 18 अगस्त रात्रि 08:01 से शुरू होगी और 19 अगस्त रात्रि 10:19 पर समाप्त हो जो जाएगा। अतः हरियाली तीज पर्व 19 अगस्त 2023, शनिवार के दिन मनाया जाएगा। इस विशेष दिन पर उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र का निर्माण बन रहा है। साथ ही तीन अत्यंत शुभ योग का भी निर्माण हो रहा है। इस विशेष दिन सिद्ध योग, साध्य योग और रवि योग का निर्माण होगा।
हरितालिका तीज की पूजा का शुभ मुहूर्त
पंचांग में बताया गया है की हरियाली तीज के दिन उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र 20 अगस्त रात्रि 1:45 तक रहेगा और सिद्ध योग 19 अगस्त रात्रि 09:19 तक रहेगा इसके बाद साध्य योग शुरू हो जाएगा। वहीं इस दिन रवि योग का भी निर्माण हो रहा है।
पूजा में प्रयोग की जाने वाली सामग्री
हरितालिका तीज की पूजा के लिए भगवान् शंकर एवं गणेश जी की मिटटी की मूर्ति की आवश्यकता होती है। साथ ही केले का पत्ता, जनेऊ, बेलपत्र, पीला वस्त्र, सुपारी, दुर्बा, कलश, रोली, शमी के पत्ते, अक्षत, धतूरा, शहद, भांग, गंगाजल एवं 16 श्रृंगार के सामान जैसे -कुमकुम, बिंदिया, सिंदूर, मेहदी इत्यादि।
हरितालिका तीज की पूजा विधि
इस विशेष पर्व पर सुहागिन महिलाएं एवं कुंवारी लड़कियां प्रातः काल स्नान आदि करके स्वच्छ एवं शुद्ध वस्त्र धारण करें। इसके पश्चात शुभ मुहूर्त/योग के समय हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प करने के पश्चात पूजा आरम्भ करें। हरितालिका तीज के दिन माता पार्वती ,भगवान् शंकर एवं भगवान् गणेश जी की उपासना की जाती है।
पूजा से पूर्व माता पार्वती, महादेव शंकर एवं गणेश जी की मूर्ति बनाएं। इसके पश्चात इन्हें एक चौकी पर स्थापित करें। महादेव शंकर जी को भांग, धतूरा, सफेद चन्दन, बेल पत्र, दूध, इत्यादि अर्पित करें। महादेव शंकर जी को सफेद फूल अर्पित करना चाहिए। एवं माता पार्वती को चुनरी, धुप दीप, फूल, अक्षत, फल इत्यादि अर्पित करें।
माँ पार्वती की पूजा करते समय “ॐ उमायै नमः” मंत्र का जाप करना चाहिए। एवं महादेव शंकर की उपासना करते समय “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें। इसके पश्चात माता पार्वती, महादेव शंकर एवं गणेश जी को भोग लगाएं। और इसके पश्चात विवाहित महिलाएं अपने पति की लम्बी आयु एवं खुशहाल दाम्पत्य जीवन के लिए एवं कुवारी लड़कियां अच्छे वर के लिए कामना करें।