शेयर मार्केट क्या है और कैसे चलता है? शेयर मार्केट से कैसे पैसा कमाये

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 शेयर बाजार की स्थापना वर्ष 1875 में हुई थी। एक शेयर बाजार को स्टाक मार्किट भी कहा जाता है। दोनों टर्मज को एक दूसरे के लिए उपयोग किया जा सकता है। भारत में 2 शेयर बाजार हैं। बाम्बे स्टाक एक्सचेंज एवं नेशनल स्टाक एक्सचेंज। केवल सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध कंपनियों यानी प्रारंभिक सार्वजानिक पेशकश  (आईपीओ ) आयोजित करने वाली कंपनियों के पास ऐसे शेयर हैं, जिनका कारोबार किया जा सकता है।

शेयर बाजार किसी भी विकसित देश की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं। जिस तरह से किसी देश, गाँव या शहर के विकास के लिए सड़कें, रेल, यातायात, बिजली, पानी सबसे जरूरी होते है। वैसे ही देश के उद्योगों के विकास के लिए शेयर बाजार आवश्यक होते हैं।

उद्योगों को चलाने के लिए पूंजी चाहिए होती है, ये उन्हें शेयर बाजार से मिलता है। शेयर बाजार के द्वारा हर आम आदमी बड़े से बड़े उद्योग में अपनी भागेदारी प्रदान कर सकता है। इस प्रकार की भागेदारी से वो बड़े उद्योगों में होने वाले मुनाफे के बराबर का हिस्सेदार बन सकता है।

मान लीजिये अगर किसी नागरिक को ये लगता है कि, आने वाले समय में टाटा या बिरला कंपनिया काफी फायदा करने वाली हैं, तो वो इस कंपनियों के शेयर को खरीदकर इस मुनाफे में भागीदार बन सकता है। और ऐसा करने के लिए तो व्यवस्था चाहिए, वो शेयर बाजार प्रदान करता है। एक अच्छा शेयर बाजार इस बात का ख्याल रखता है कि, किसी भी निवेशक को बराबर मौका मिले। 

आजकल सभी शेयर डिमटिरीलाइज होते हैं। शेयरों के अतिरिक्त निवेशक भारतीय म्युचुअल फंड में भी पैसा लगा सकते हैं। आम ग्राहक को किसी डीमैट सर्विस देने वाले बैंक में अपना खाता खोलना पड़ता है। आजकल कई बैंक  जैसे- आईसीआईसीआई, एचडीएफसी, एक्सिस बैंक, भारतीय स्टेट बैंक, आदि डीमैट सर्विस देता है। इस तरह के खाते का वार्षिक शुल्क 500-800 रूपये तक होता है। 

 शेयर बाजार में आप जितना भी पैसा लगायेंगे या कहिये की जितने भी शेयर्स खरीदेंगे, उसी के हिसाब से कुछ %  के मालिक उस कंपनी के हो जाते हैं। हर कंपनी की एक मार्केट वैल्यू होती है, जिसके अनुसार ही उनके शेयर्स की कीमत तय होती है। वैसे यह वक़्त बदलते रहती है।

जिसके कारण से ही किसी का फायदा हुआ या नुकसान कैलकुलेट किया जाता है। यह सारा काम और खरीदना -बेचना एक नेटवर्क के माध्यम से किया जाता है। टेक्नोलॉजी में वृद्धि के कारण अब आप अपने घर बैठे भी शेयर्स के हाल-चाल जान सकते हैं। एवं शेयर की खरीद बहुत सरलता से कर सकते हैं। 

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शेयर कैसे ख़रीदा जाता है?

शेयर जिसे स्टाक या इक्विटी के नाम से भी जाना जाता है, यह एक कंपनी में Ownership को Represent करती है। किसी कंपनी में शेयर्स खरीदने का अर्थ है कि, आप उस कंपनी के संपत्ति और मुनाफे का एक हिस्सा Acquire कर रहे हैं।  

शेयर खरीदने के निम्न तरीके हैं

आनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफार्म

जैसे-जैसे टेक्नोलाजी एडवांस होती जा रही है। शेयर खरीदना बहुत अधिक आसान हो गया है। आनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफार्म जैसे-Angel one, Zerodha, E- trade, राबिन हुड इत्यादि प्लेटफार्म आपको अपने घर बैठे-बैठे ही शेयर खरीदने और बेचने की सहूलियत प्रदान करते हैं। आप एक अकाउंट खोलें, उसमें पैसे जमा करें, एवं शेयर खरीदने के लिए आनलाइन घर बैठे आर्डर दें।

डायरेक्ट स्टाक पर्चेज

इस तरीके का उपयोग करके एक व्यक्ति डायरेक्ट कंपनी से शेयर खरीद सकता है। निवेशक कैश का उपयोग  करने के बजाय कंपनी से प्राप्त होने वाली “Cash dividends“ का उपयोग करके शेयर्स खरीद सकते हैं।

ब्रोकरेज फर्म

किसी ब्रोकरेज फर्म के द्वारा शेयर खरीदने का सबसे आम तरीका है। ब्रोकरेज फर्म, खरीददार एवं शेयर बाजार के बीच एक मध्यस्थ के रूप में कार्य करता है। आप ब्रोकरेज फर्म के साथ अकाउंट open कर सकतें हैं। अकाउंट में राशि जमा कर सकते हैं । और शेयर खरीदने के लिए आर्डर दे सकते हैं। ब्रोकरेज फर्म आपके Behalf में शेयर खरीदेगी। और शेयरों को अपने नाम पर होल्ड करके रखेगी। आप सिर्फ आर्डर देंगे। शेयर को खरीदने-बेचने और स्टोर करने का काम ब्रोकरेज फर्म करेगी। 

म्युचुअल फंड एंड एक्सचेंज

म्यूचुअल फंड के द्वारा भी आप शेयर खरीद सकते हैं, एवं इटीएफ के द्वारा स्टाक खरीद सकते हैं। म्यूचुअल फंड  बहुत से निवेशकों के पैसों का एक भंडार है। जिसे स्टाक्स, बांड्स और अन्य सिक्योरिटीज में इन्वेस्ट किया जाता है। और एक डायवर्स फोर्टफोलियो क्रिएट किया जाता है। 

ETF एक इस प्रकार का इन्वेस्टमेंट फंड है, जिसका स्टाक एक्सचेंज में व्यापार किया जाता है। बिल्कुल एक स्टाक की तरह, जिस प्रकार से स्टाक मार्केट में शेयर्स का ट्रेडिंग होता है। बिल्कुल उसी तरीके से ETF का भी ट्रेडिंग होता है।

म्युचुअल फंड या इटीएफ में निवेश का यह फायदा है कि, यह फंड बहुत सारे स्टाक्स का एक डायवर्स फर्ट फोलियो है। अतः इसमें इन्वेस्मेंट करने पर आपका पैसा स्वतः ही एक डाइवर्स पोर्ट फोलियो के स्टाक्स में इन्वेस्ट हो जाता है। आपको खुद स्टाक Pick नही करने पड़ते। 

शेयर कब खरीदना चाहिए

शेयर बाजार में रिस्क का जोखिम होता है, इसलिए यहाँ तभी निवेश करना चाहिए जब आपकी आर्थिक स्थिति ठीक हो, जिससे भविष्य में अगर कोई नुकसान होता भी है, तो उससे आपको कोई विशेष फर्क न पड़े। वैसे ऐसा आवश्यक नहीं है कि, नुकसान होना निश्चित है। अगर आप सोंच-समझकर इन्वेस्ट करतें हैं, तो मुनाफा भी कमा  सकते हैं। 

जैसे -जैसे आपका इस क्षेत्र में जानकारी और अनुभव बढेगा वैसे-वैसे आप सोंच समझ कर इन्वेस्ट करतें हैं, तो काफी मुनाफा कमा सकते है। जैसे-जैसे आपका इस क्षेत्र में अनुभव और जानकारी बढ़ेगी। वैसे-वैसे आप धीरे-धीरे अपने इन्वेस्टमेंट को बढ़ाने का जोखिम उठा सकतें हैं।

फिल्ड की जानकारी होने के साथ-साथ विशेष बातों की अगर बात की जाये तो ये स्किल होना भी आवश्यक है कि, आप कंपनी एनालिसिस अच्छे तरीके से कर पाए। जिससे कंपनी फ्राड है या नही, ये जानने के साथ-साथ आपको उसके लाभ-हानि की जानकारी रहे। कंपनी का ग्रोथ-ग्राफ देखकर ही उस पर विश्वास कर पाएंगे। और उसमें अपनी पूंजी लगाने का रिस्क उठा पाएंगे। जो की बहुत आवश्यक है। 

शेयर बाजार के महत्व

शेयर बाजार के निम्नलिखित महत्व हैं, जो निम्नवत हैं।

उद्देश्य एवं संचालन

कंपनियों के पास पैसे जुटाने के कुछ महत्वपूर्ण स्थान में शेयर बाजार भी है। इसमें कम्पनियाँ अपने कंपनी का कुछ हिस्सा शेयर बाजार में आईपीओ जारी कर रखते हैं। इससे उन्हें हिस्सेदारी देने के बदले पैसे मिलते हैं। इन पैसों को कंपनियों को वापस लौटाने की आवश्यकता नही होती है। और कंपनियां पैसों का उपयोग अपने तरक्की में ही करतें हैं, न कि डेब्ट( ऋण ) की राशि जमा करने में। जिसमें उन्हें वो पैसे तो देने होते ही हैं, साथ ही ब्याज भी देना पड़ता है। 

इसके अतिरिक्त यदि कोई कंपनी पब्लिक हो जाती है, तो उसके शेयर का, शेयर बाजार में ट्रेड शुरू हो जाता है।  जिसके बाद कंपनी चाहे तो कभी भी अपने और स्टाक को बाजार में बेंच सकती है। जिससे उसे आगे भी आसानी से पैसे मिल जाते हैं। वैसे हर स्टाक उस कंपनी को मालिकाना हक़ प्रदान करता है। इस वजह से कंपनियां अपने कुछ ही % हिस्से को पब्लिक करतें हैं। 

दाम पर प्रभाव

शेयर बाजार में किसी स्टाक के दाम को शुरुआत में कंपनी तय करती है। जिसके पश्चात लोगों के द्वारा ट्रीड के द्वारा इसका दाम घटता और बढ़ता दिखता है। किसी स्टाक का दाम कितना होना चाहिए। यह आमतौर पर कंपनी के भविष्य में होने वाले लाभ के आसार के साथ-साथ उस देश की, महगाई, अर्थव्यवस्था पर निर्भर करता है। 

क्रेश

शेयर बाजार में क्रेश उसके भाव में गिरावट होने को कहतें हैं। इसके सबसे बड़े कुछ कारणों में कंपनी का बेकार प्रदर्शन और उसके भविष्य में होने वाले नुकसान होने की आशंका आदि है। कई बार लोगों में किसी स्टाक के लिए भरोसा उत्पन्न हो जाता है। जिससे उसके दाम में वृद्धि होने लगती है। एवं जब लोगों का भरोसा उससे घट जाता है,  तो उसके दाम में गिरावट हो जाती है। और निवेश करने वालों के लाखों-करोड़ों डूब भी जाते हैं।   

शेयर बाजार में पैसा कैसे लगायें

शेयर मार्केट से शेयर्स खरीदने के लिए आपको एक डीमैट अकाउंट बनाना पड़ता है। इसके 2 तरीके होते हैं । आइये  इन तरीकों  के बारे में  विस्तार से जानें

पहला तरीका

आप एक ब्रोकर के पास जाकर एक डीमैट अकाउंट खोल सकते हैं। मूल रूप से उसी डीमैट एकाउंट में हमारे शेयर्स के पैसे रखे जाते हैं। अगर आप शेयर मार्केट में निवेश कर रहे हैं, तो आपका अकाउंट होना अत्यंत आवश्यक है। 

कंपनी को जब फायदा होगा तब अपने आप आपके ख़रीदे हुए शेयर्स की वैल्यू बढेगी। उसी अनुसार, अगर आप अपने शेयर्स बेचते हैं, और उससे मिलने वाला पैसा चाहतें हैं, तो वो आपके डीमैट अकाउंट में ही आएगा।

फिर अगर आप चाहें तो उस डीमैट एकाउंट से अपने सेविंग बैंक एकाउंट में धनराशी ट्रांसफर कर सकते हैं। यह डीमैट अकाउंट आपके सेविंग अकाउंट से जुड़ा होता है। डीमैट एकाउंट बनाने के लिए आपका किसी भी बैंक में एक सेविंग्स अकाउंट होना आवश्यक है। और सबूत के लिए आपको पैन कार्ड की कापी और एड्रेस proof  की आवश्यकता पड़ेगी । 

 दुसरा तरीका

आप किसी भी बैंक में जाकर वैसे तो अपना डीमैट एकाउंट खुलवा सकते हैं। परन्तु एक ब्रोकर द्वारा अकाउंट खुलवायेंगे तो आपको अधिक मुनाफा होगा। ये इसलिए क्योंकि इससे अच्छा सहयोग मिलेगा और दुसरा कि,  आपके निवेश के हिसाब से ही वो आपको अच्छी कंपनी सजेस्ट करते हैं। जहाँ आप अपने रूपये निवेश कर सकते हैं।

शेयर मार्केट डाउन होने के क्या कारण हैं? 

शेयर मार्केट के गिरने के बहुत से कारण होते है। जिनका वर्णन निम्नलिखित बिन्दुओं में विस्तार से किया गया है।  

  • किसी कंपनी के आर्डर मिलने या छिन जाने, अच्छे परिणाम रहने, मुनाफा बढ़ने / घटने जैसी बातों के आधार पर उस कंपनी का मूल्यांकन किया जाता है। इस मूल्यांकन के आधार पर मांग घटने-बढ़ने से कंपनी के शेयर की कीमतों पर भी असर पड़ता है। 
  • किसी भी बड़ी घटना से शेयर मार्केट डाउन होने के चांसेज बढ़ जाते हैं। कोविड-19 के आने से देश-विदेश की प्रत्येक चीज में काफी परिवर्तन दिखाई दिया। वहीं इससे दुनिया के लगभग समस्त बिजनेस को बहुत नुकसान हुआ। इस पर लोग शार्ट टर्म में अर्निंग के लिए अपने स्टाक्स को बेच देते हैं। इससे शेयर मार्केट डाउन हो जाती है।  इससे बड़ा उतार-चढ़ाव दिखाई दिया।
  • Foreign Institutional  Investors , इस ग्लोबल रिस्क वर्जन के दौरान मुख्य तौर पर एक्सचेंज ट्रेडिंग फंड  (ETF) के द्वारा बिक्री की जाती है। इससे शेयर्स मार्केट में काफी गिरावट देखने को मिलती है।आकड़ों के अनुसार  मार्च – 2021 में कोविड काल के कारण लगभग INR 25,000 करोड़ के स्टाक्स को डर की वजह से बेंच दिया गया था।

 सपोर्ट लेवल क्या होता है?

सपोर्ट लेवल, चार्ट पर दर्शाया जाने वाला वो प्राइम पाइंट है, जहाँ ट्रेडर्स शेयर खरीदने के संबंध में अधिकतम मांग की सम्भावना रखते हैं। जब भी किसी कंपनी के एसेट की वैल्यू डाउन होती है, उसमें वापसी के उछाल की उम्मीद  बढ़ जाती है। जिससे अधिक से अधिक फायदा होने की उम्मीद बढ़ जाती है। इसी वजह से खरीदने वालों की तादात  में भी वृद्धि देखने को मिलती है।

मार्केट में घुसने के इच्छुक खरीददार के द्वारा किसी भी एजेंट सपोर्ट पर लेवल निकाला जा सकता है। अगर ध्यान से देखा जाये तो प्राइम पॉइंट के आकार में भी बदलाव देखने को मिलता है। यह प्रक्रिया ओवर प्राइज्ड ट्रेड्स के हिसाब से होती है। वहीं इसमें ज्यादा एडवांस्ड वर्जन्स के सपोर्ट लेवल को सत्यापित करने के लिए दुसरे टेक्निकल इंडिकेटर और चार्टिंग टेक्निक्स का प्रयोग किया जाता है। 

क्या होता है रेजिस्टेंस लेवल

सपोर्ट लेवल से विपरीत रेजिडेंस लेवल माना गया है, ये एक तरह का प्राइम पाइंट है। जहाँ स्टॉक प्राइज के ऊपर  जाने की सम्भावना रहती है। जिसके परिणाम में मार्केट के सेलर्स यानि एसेट बेचने वालों की संख्या में वृद्धि देखने को मिलती है। एवं खरीदने वालों की संख्या में गिरावट आती है। 

वहीं बहुत से ऐसे एडवांस्ड टेक्निक्स हैं, जिससे आप इन समस्त चीजों को एनालाइज कर सही स्टेट्स की पहचान कर सकते हैं। जैसे-रेजिडेंस इन्कापोरेटिंग बैंड्स ट्रेड लाइंस और मूविंग एवरेजिज इत्यादि।

सपोर्ट एवं रेजिस्टेंस लेवल में भिन्नता

रेजिस्टेंस एवं सपोर्ट किसी चार्ट के स्टाक में 2 भिन्न-भिन्न प्राइज पाइंट होते हैं, जिनके विषय में जानकारी अत्यंत आवश्यक होती है।